Language/Tamil/Culture/Sangam-Literature/hi
संगम साहित्य[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करें]
संगम साहित्य एक प्राचीन तमिल साहित्य है। यह तमिलनाडु के तटीय क्षेत्र में 3 शताब्दियों तक लिखा गया था। इसमें कविताएं, गीत, कहानियां, नाटक और कई अन्य विभिन्न लेखन शामिल हैं। इस साहित्य के समय तमिलनाडु बहुत विकसित था और संस्कृत साहित्य का भी अध्ययन होता था। इस साहित्य में भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को दिखाया गया है।
संगम काल[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करें]
संगम काल का अर्थ होता है "सभा कला" या "सभा शास्त्र"। इसमें लोगों की राय लेने के लिए समाज के विभिन्न वर्गों से लोगों के एक समूह की स्थापना की गई थी। यह काल तमिल साहित्य का सबसे प्रभावशाली काल था।
संगम साहित्य के प्रकार[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करें]
संगम साहित्य तीन प्रकार में होता है:
- पुरनानूरु
- अकानानूरु
- कुरुन्तोगै
इनमें से पुरनानूरु और अकानानूरु की संख्या 400 से अधिक है।
संगम साहित्य का महत्व[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करें]
संगम साहित्य तमिल साहित्य का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें तमिल भाषा और तमिल संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को व्यक्त करने के साथ-साथ भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को भी दिखाया गया है। संगम साहित्य के लेखकों में तोल्कापियम, अव्वैयार, अखानानूरु के आंतरिक लेखक आदि शामिल हैं।
संगम साहित्य की विशेषताएं[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करें]
संगम साहित्य की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
- इसमें विभिन्न विषयों पर लेखन होता है।
- इसमें विभिन्न व्यंग्य, तार्किक चिंतन और विविधता होती है।
- इसमें विभिन्न कवि लोकोक्तियां और अन्य उद्धरण होते हैं।
- इस साहित्य को तमिल साहित्य का एक प्रमुख अंग माना जाता है।
उदाहरण[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करें]
तमिल | उच्चारण | हिंदी |
---|---|---|
நான் உங்களுக்கு பிரியாமல் இருக்கிறேன் | Nāṉ uṅkaḷukku piriyāmal irukkiṟēṉ | मैं आपसे प्रेम नहीं करता |
நீங்கள் எனக்கு பிரியாமல் இருக்கிறீர்கள் | Nīṅkaḷ eṉakku piriyāmal irukkiṟīrkaḷ | आप मुझसे प्रेम नहीं करते |
அவர் நம்பிக்கையால் நலம் பெறுவார் | Avar nambikkaiyāl nalamp eṟuvār | वह आशावादी होने से लाभान्वित होता है |
தவரக் காய் தான் தமிழகத்தில் வளர்ந்து வருகிறது | Tavarak kāy tāṉ tamiḻakttil vaḷarntu varukiṟadhu | तामिलनाडु में तवरा खाने वाला विकसित होता है |
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